अंतर्द्वंद्व
क्या सच है, क्या शिव, क्या सुंदर?
शव का अर्चन,
शिव का वर्जन,
कहूँ विसंगति या रूपांतर?
वैभव दूना,
अंतर सूना,
कहूँ प्रगति या प्रस्थलांतर?
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अंधेरा कब जाएगा
दर्द कमर का तेज,
रात भर लगीं न पलकें,
सहलाते रहे बस,
एमरजैंसी की अलकें,
नर्स नींद में चूर,
ऊंघते रहे सभी सिपाही,
कंठ सूखता, पर
उठने की सख़्त मनाही,
कह कैदी कविराय,
सवेरा कब आएगा,
दम घुटने लग गया,
अंधेरा कब जाएगा।
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अनुशासन के नाम पर
अनुशासन के नाम पर
अनुशासन का खून
भंग कर दिया संघ को
कैसा चढ़ा जुनून
कैसा चढ़ा जुनून
मातृ-पूजा प्रतिबंधित
कुलटा करती केशव-कुल की
कीर्ति कलंकित
कह कैदी कविराय,
तोड़ कानूनी कारा
गूंजेगा भारत माता की
जय का नारा।
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इन कविताओं का विडियो देखें..
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