हमारे देश में बहुत ही अधिक कहावतें प्रचलित हैं। ये कहावतें हजारों वर्ष पुरानी हैं और हमारे जीवन से इनका गहरा संबंध है। एक ऐसी ही कहावत है..
गया मर्द जो खाई खटाई गई नार जो खाई मिठाई
इस कहावत को प्रायः बड़े सामान्य अर्थ में ले लिया जाता है और मजाक तक ही सीमित कर दिया गया है। पर ऐसा नहीं है, अपितु इसका हम सब के जीवन से बहुत ही गहरा और चिकित्स्कीय सम्बन्ध है।
गया नर जो खाय खटाई : पुरुषों को अत्यधिक मात्रा में खटाई नही खानी चाहिए। वह पुरुष मृत व्यक्ति के सामान है जो अत्यधिक मात्रा में खट्टे का सेवन करता है। अर्थात, बहुत ही ज्यादा खट्टी वस्तुओं का सेवन करने से पुरुष को शुक्रमेह अर्थात धातु रोग का शिकार हो जाने की सम्भावना रहती है। और शुक्रमेह से पीड़ित ब्यक्ति का स्वास्थ्य क्रमशः क्षीण होता जाता है। चेहरा निश्तेज और शरीर धीरे धीरे कृशकाय हो जाता है। उनका पूरा जीवन का ढांचा ही बदल जाता है।
गई नार जो खाय मिठाई : वह स्त्री मरे हुवे के सामान है जो अत्यधिक मात्रा में मिठाई का सेवन करती है। क्योंकि, अत्यधिक मात्रा में स्त्री द्वारा मिठाई का सेवन करने के उपरांत श्वेत प्रदर नामक बीमारी लग जाने की सम्भावना होती है। बोलचाल की भाषा में इसे सफ़ेद पानी आना भी कहते हैं और प्रायः यह देखा जाता है कि इसे एक सामान्य प्रक्रिया मान कर नजर अंदाज कर दिया जाता है। जबकि यह स्राव बढ़ने पर वे अत्यंत क्षीण और दुर्बल हो जाती है जिससे जीवन कष्टकर हो जाता है।
महिला़ओ को मिठाई न सेवन करना बताने का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि मिठाई यानि चीनी का सेवन करना अर्थात लगभग सभी मिठाईयां चीनी से ही निर्मित होती है। चीनी यानि सल्फर का अधिक सेवन करना हड्डियों को गलाने यानि कमजोर करने का भी कार्य पुरुष और स्त्रियो में समान रुप से प्रभावित करता है परन्तु स्त्रियां बच्चों को दूध भी पिलाती है और चीनी खाने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है जिस कारण स्त्रियां पहली बार ही दुग्धपान कराते समय इतनी कमजोर हो जाएगी कि उसे चक्कर आने या हिस्टीरिया आदि का शिकार तक भी हो जाती है तथा लिकोरिया से पीड़ित होना तो 15% महिलाओं की आम समस्या है क्योंकि चाय और कॉफी तथा अन्य पेय के रुप में चीनी खाया जाना आम बात है।
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