ब्रह्म विवाह क्या होता है..!!

वेद और शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म के अनेको शास्त्रों में से एक मनुस्मृति में 8 अलग-अलग प्रकार के विवाहों का वर्णन है, जिसमें से 4 धर्म के अनुसार उचित और 4 धर्म के विरुद्ध माने गये हैं।

आइए जानते हैं इन सभी विवाहों के बारे में..

1. ब्रह्म विवाह
सबसे अच्छा विवाह, जहां विवाह में दहेज नहीं लिया जाता। दोनों परिवारों की इच्छा से कुल के अनुसार विवाह होता है और कन्यादान भी होता है।

2. प्रजापत्य विवाह
इस विवाह में लड़की और लड़का दोनों बच्चे होते हैं और कन्यादान के स्थान पर पाणिग्रहण संस्कार होता है। विवाह तब तक पूर्ण नही होता जब तक बच्चे बड़े न हो जाएं। यहां कन्या की इच्छा नहीं पूछी जाती। वर ऊंचे कुल का हो सकता है।

3. दिव्य विवाह
ऐसा विवाह जिसमें लड़की के माता-पिता किसी कारणवश उसका विवाह करवाने में असमर्थ रहते हैं और इसलिए किसी ऐसे व्यक्ति के पास जाते हैं जो उनकी कन्या से विवाह करने की इच्छा रखता है और किसी राजा या धनी व्यक्ति के पास जाकर उससे ये निवेदन किया जाता है कि वो गरीब की बेटी की शादी करवा दे।

4. अर्श विवाह
कन्या-पक्ष वालों को कन्या का मूल्य दे कर (सामान्यतः गौदान करके) कन्या से विवाह कर लेना अर्श विवाह कहलाता है।

5. गंधर्व विवाह
परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना 'गंधर्व विवाह' कहलाता है।

6. असुर विवाह
कन्या को खरीद कर (आर्थिक रूप से) विवाह कर लेना 'असुर विवाह' कहलाता है। यहां वर किसी भी तरह से कन्या की बराबरी का नहीं होता, लेकिन धन देकर कन्या को खरीदा जाता है।

7. राक्षस विवाह
ये वो विवाह है जिसमें लड़की तो राजी होती है, लेकिन उसके परिवार वाले नहीं, इसलिए लड़की को अगवा कर (उसकी मर्जी से) वर उससे विवाह करता है। वर्तमान समय में इसे ही लव मैरीज कहा जाता है। चाहें कृष्ण-रुकमणी की बात हो, अर्जुन-सुभद्रा की या फिर पृथ्वीराज चौहान और संयुक्ता की सभी ने इस तरह का विवाह किया था। अर्थात भगवान और पुराने समय के राजा भी लव मैरिज या अंतर्जातीय विवाह करते थे।

8. पैशाच विवाह
कन्या की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) का लाभ उठा कर उससे शारीरिक सम्बंध बना लेना और उससे विवाह करना 'पैशाच विवाह' कहलाता है। इसमें कन्या के परिजनों की हत्या तक कर दी जाती है। ये सबसे अधर्मी विवाह है।

यहां वर और कन्या की सहमति से हुए विवाह को ही मान्यता दी गई है और अधर्म तब होगा जब कन्या की इच्छा न हो।
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