इसमें शामिल हैं :
✓ भादंसं में लिखित धारा 3 के मूल शब्द
✓ धारा 3 का स्पष्टीकरण
✓ धारा 3 की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
✓ धारा 3 के उदाहरण
✓ इस धारा में गिरफ्तार व्यक्ति पर मुकदमा किस कोर्ट में ....चलाया जाएगा ?
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 3 के मूल शब्द
भारतीय दंड संहिता की धारा 3 के अनुसार, भारत से बाहर किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसे निपटा जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था।
स्पष्टीकरण (सरल शब्दों में)
भारतीय दंड संहिता की धारा 3 के अनुसार यदि कोई कृत्य भारत में अपराध माना जाता है और वह कृत्य भारतीय नागरिक भारत के बाहर विश्व में कहीं भी करता है तो उसे पर मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा। चाहे वह कृत्य भारत के बाहर अपराध माना जाता हो या नहीं। यदि भारत में वह कृत्य अपराध है तो भारत का नागरिक वह कृत्य भारत के बाहर भी करता है तो उसे भारतीय कानून के हिसाब से दंडित किया जाएगा।
ऐसी स्थिति में ऐसा माना जाएगा कि उसे व्यक्ति ने वह अपराध भारत के अंदर ही किया है। आईपीसी की सेक्सन 3 भारतीय नागरिकों पर लागू होता है उस अपराध के लिए, जो उसने भारत के बाहर किया है।
भादंसं की धारा 3 की आवश्यकता क्यों है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 3 को इसलिए बनाया गया है कि कोई भारतीय नागरिक यह ना कह सके कि मैं तो यह अपराध विदेश में किया है, मेरे ऊपर भारतीय कानून के हिसाब से मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। उस व्यक्ति पर भारतीय व्यवस्था के अनुसार मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि वह भारतीय नागरिक है और धारा 3 उस पर लागू होती है।
उदाहरण :
अब यहां ध्यान देने योग्य बात यह है, कि कुछ कृत्य ऐसे हैं जिन्हें कई देशों में अपराध नहीं माना जाता। जैसे वेश्यावृत्ति, जुआ खेलना आदि। लेकिन यह कृत्य भारत में अपराध हैं, और यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में यह अपराध करता है, तो भी उस पर मुकदमा चलाया जाएगा।
मान लीजिए कोई भारतीय नागरिक किसी देश में जाकर जुआ खेल कर आता है, तो उस पर मुकदमा चलाया जाएगा, चाहे जुआ खेलना उस देश में अपराध हो या ना हो। लेकिन भारत में यह अपराध है और भारतीय नागरिक विदेश में जुआ खेल कर आने पर भारत में उस पर मुकदमा चलाया जाएगा और उसे दंडित भी किया जाएगा। वह यह कहकर सजा से बच नहीं सकता कि जुआ खेलना उस देश में अपराध नहीं है और मुझ पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस स्थिति में अपराधी भारतीय नागरिक है और भारत में वर्णित अपराध वह विश्व में कहीं भी नहीं कर सकता। धारा 3 का मूल सार यही है।
इस धारा में मुकदमा किस कोर्ट में चलाया जाएगा?
अब सवाल यह आता है कि भारत के बाहर किए गए अपराध का मुकदमा भारत के किस कोर्ट में चलाया जाएगा। इसका उत्तर यह है कि भारत में आने पर भारत के जिस क्षेत्र में, जिस एरिया में उसे गिरफ्तार किया जाएगा, उस क्षेत्र के कोर्ट में उस पर मुकदमा चलाया जाएगा। मान लीजिए कर्नाटक का कोई निवासी है और वह अमेरिका से जुआ खेल कर आया है और उसे मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया है, तो उस पर मुंबई कोर्ट में मुकदमा चलाया जाएगा।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 3 यही परिभाषित करती है कि भारतीय अपराधिक कोर्ट का क्षेत्राधिकार भारतीय नागरिकों पर भारत के अंदर तो होता ही है, भारत के बाहर भी होता है।