यह धारा आईपीसी की अंतिम धारा है। एक प्रकार से यह धारा आईपीसी को पूर्ण करती है। अर्थात यदि सम्पूर्ण आईपीसी में यदि किसी अपराध के दण्ड का प्रावधान छूट गया है या प्रावधान नही किया गया है तो उस अपराध का दण्ड धारा 511 के द्वारा दिया जाएगा।
उदाहरण :
धारा 511 को समझने के लिए यहां धारा 378 का उदाहरण लेते हैं। धारा 378 के अनुसार चोरी करने पर दण्ड दिया जाता है, लेकिन चोरी का प्रयास किए जाने पर सजा का कोई प्रावधान नही है। इस स्थिति में चोरी के प्रयास की सजा धारा 511 के द्वारा दी जाएगी।
भारतीय दण्ड संहिता में लिखित धारा 511 के मूल शब्द :
आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्ड।
Punishment for attempting to commit offences punishable with imprisonment for life or other imprisonment.
ध्यान देने योग्य बिंदू :
इस धारा में वही अपराध शामिल होंगे जिनको करने के प्रयास की सजा के लिए अलग से कोई धारा नही बनाई गई है। उदाहरण के लिए, "हत्या का प्रयास" अपराध धारा 511 में शामिल नही होगा क्यों कि हत्या का प्रयास अपराध के लिए पहले से ही धारा 307 बनाई हुई है।
धारा 511 में केवल उन्ही अपराधों का दण्ड दिया जा सकता है जिनमें कारावास या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है। "मृत्युदंड" की सजा वाले अपराध धारा 511 में शामिल नही होंगे क्योंकि मृत्युदंड (डेथ पेनल्टी) की सजा वाले सभी अपराधों के लिए अलग से धाराएं बनी हुई हैं।
इस धारा के अंतर्गत कितनी सजा मिलेगी :
धारा 511 कें अंतर्गत यदि कोई दोषी पाया जाता है, यानि अपराध करने का प्रयास करता है तो उसे उस अपराध को करने की जितनी सजा का प्रावधान है उसकी आधी सजा मिलेगी। मान लीजिए यदि चोरी करने की सजा 3 वर्ष का कारावास है तो, चोरी करने का प्रयास करने पर डेढ़ वर्ष के कारावास की सजा दी जाएगी।
धारा 511 का सार :
भारतीय दण्ड संहिता में यदि किसी अपराध की सजा के लिए अलग से कोई धारा नही बनाई गई है, तो उस अपराध की सजा धारा 511 के द्वारा दी जाएगी और मूल अपराध के लिए रखी गई सजा की आधी सजा दी जाएगी।
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