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भगवान को छप्पन भोग क्यों लगाया जाता है?

इसके पीछे बहुत ही आध्यात्मिक और प्रमाणिक कथा प्रचलित है-
छप्पन (56) भोग श्रीकृष्ण को लगाए जाते हैंं। इसके पीछे गहरे सिद्धांत और लोकमान्यता है, जो इस प्रकार हैं- 
1. पहर - भारत में पूरे दिन को 24 घंटे के अलावा 8 पहर में बांटा हुआ था। एक पहर 3 घंटे का होता है, जो समय की एक इकाई हैं। 
2. गोकुल का पर्वत - सप्ताह में सात दिन होते हैं यह सबको पता है। एक बार गोकुल में सात दिन तक घनघोर वर्षा हुई और इस वर्षा से गोकुल वासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने 7 दिन तक गोकुल में गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊंगली पर उठाए रखा। इन सात दिनों में श्रीकृष्ण ने कुछ भी नहीं खाया था।
3. भोग - सात दिन बाद जब बरसात रुकी तो सभी गोकुल वासियों ने सोचा हर पहर में खाना खाने वाले श्रीकृष्ण ने इन 7 दिन में कुछ भी नहीं खाया। तब आठवें दिन सबने 7 दिन के एक - एक पहर के हिसाब से श्रीकृष्ण को भोग लगाया। अब गोकुल वासियों के भोग की गणना की जाये तो जो मिलेगा, वो होगा - पहर x दिन = भोग। अर्थात (8 पहर x7 दिन = 56)। उसी दिन से 56 भोग की परंपरा की शुरुआत हुई , जो आज भी विद्यमान है, यह परंपरा इसलिए विद्यमान है, क्योंकि अब भी एक दिन 8 पहर (24 घंटे) का ही होता है, जब दिन की समय अवधि बढ़ या घट जाएगी, तब पुनः सोचना होगा। फ़िलहाल नहीं सोचा जा सकता हैं क्योंकि दिन की अवधि का अभी तक घटने या बढ़ने का कोई अनुमान नहीं है। 
विशेष - श्रीकृष्ण को अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को लगने वाले ये भोग बहुत ही खास होते हैं। इसमें दूध, दही, घी, मिठाई और फल सम्मिलित होते हैंं।
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