मनिंदरजीत सिंह बिट्टा को 'जिंदा शहीद' क्यों कहा जाता है?

मनिंदरजीत सिंह बिट्टा भारत के एक राष्ट्रवादी सामाजिक कार्यकर्ता है और वे अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष है। वह पंजाब की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वह अपने फ्रेंड के बैनर तले सामाजिक कार्यों में जुड़े रहते हैं।मुख्य रूप से सही सैनिकों और आतंकवादी घटना में शहीद हुए लोगों के परिवार के लिए काम करते हैं। साथ ही वह देश से आतंकवा के खात्मे के लिए भी तरह - तरह की मुहिम चलाते रहते हैं।
आज के समय में लोग इन्हें इनकी सुरक्षा व्यवस्था के कारण भी जानते हैं। इनके ऊपर कई बार जानलेवा हमला हो जाने के कारण इन्हें आजीवन जेड श्रेणी सुरक्षा मिली है। आतंकवाद विरोधी मुहिम चलाने की वजह से मनिंदरजीत सिंह बिट्टा के ऊपर कई बार हमले किए जा चुके हैं, इसीलिए सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए आजीवन जेड श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है। मनिंदरजीत सिंह बिट्टा का जन्म पंजाब में हुआ था। बचपन से ही मनिंदरजीत सिंह सामाजिक कार्यों में जुड़े रहे और भगतसिंह से काफी प्रभावित रहे। 1992 में अमृतसर में एक बम धमाके में 13 लोग मारे गए थे जिसमें मनिंदरजीत सिंह बिट्टा ने  अपना एक पैर खो दिया था। उसके अलावा उनके ऊपर नई दिल्ली में भी कई बार जानलेवा हमले हुए जिसमें उनकी जान तो बच गई लेकिन उनके अंगरक्षक मारे गए।
मनिंदरजीत सिंह बिट्टा अब राजनीति छोड़ चुके हैं और अब कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों और भारतीय संसद पर हुए हमले में शहीद जवानों के परिवारों की देखभाल का जिम्मा उठाए हुए हैं। मनिंदरजीत सिंह बिट्टा के ऊपर कई बार हमले हुए फिर भी वह जिंदा बच गए। (लेकिन एक बार के हमले में उन्होंने अपने पैर को खो दिया था।) इसी की वजह से उन्हें जिंदा शहीद कहा जाता है।

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