शिवानंद स्वामी कौन हैं जिनका आरती के अंत में नाम आता है?

"कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावे।"

जब भी हम माता जी की आरती "जय अम्बे गौरी" गाते हैं तो हम आरती का समापन इस पंक्ति से करते है। क्या आप जानते हैं ये "शिवानंद स्वामी" कौन है?
आइये जानते है शिवानंद स्वामी जी का जीवन परिचय..
स्वामी शिवानंद सरस्वती
स्वामी शिवानन्द सरस्वती (1887-1963) वेदान्त के महान आचार्य और सनातन धर्म के विख्यात नेता थे। उनका जन्म तमिल नाडु में हुआ पर संन्यास के पश्चात उन्होंने जीवन ऋषिकेश में व्यतीत किया।

स्वामी शिवानन्द का जन्म अप्यायार दीक्षित वंश में 8 सितम्वर 1887 को हुआ था। उन्होने बचपन में ही वेदान्त का अध्ययन और अभ्यास किया। इसके पश्चात उन्होने चिकित्साविज्ञान का अध्ययन किया। तत्पश्चात उन्होने मलाया में चिकित्सक के रूप में लोगों की सेवा की। सन् 1924 में चिकित्सा सेवा का त्याग करने के पश्चात ऋषिकेष में बस गये और कठिन आध्यात्मिक साधना की।
माता-पिता ने उनका नाम कुप्पुस्वामी स्वामी रखा था। वे विलक्षण बुद्धि वाले बालक थे। बचपन से ही पढ़ाई व खेल दोनों में सदैव अग्रणी रहते थे। मलाया (बर्मा) में उन्हें जादुई चिकित्सक व गरीबों का मसीहा माना जाता था। उन्हे बचपन से ही आधात्मिक एवं गरीबों की सेवा में रूची थी। आगे चलकर उन्होंने आध्यात्मिक गुरूओं की पुस्तकों का गहन अध्ययन किया और पहले काशी और अंतत: ऋषिकेश आकर स्वामी जी ने बेहद कठोर साधना व तपस्या की।
थे। स्वामी जी समय को अत्यधिक महत्व देते थे, अत: सप्ताह में एक बार भोजन भिक्षा प्राप्त कर पुनः तपस्या में लीन हो जाते थे। ईश्वर के प्रति अनंत श्रद्धा रखते हुए कठोर तपस्या की और प्रभुज्ञान प्राप्त किया। स्वामी जी ने अत्यंत सरल शब्दों में लगभग 300 पुस्तकें लिखी। योग को उन्होंने अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंचाया। वे मस्तिष्क, हृदय और शरीर के लिए ज्ञान, भक्ति और कर्म योग का संतुलित प्रशिक्षण देते थे। उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से हजारों लोगों को ज्ञान, योग और साधना का ज्ञान प्रदान किया। अपने प्रत्येक शिष्य को वे बहुत गहनता से प्रशिक्षण देते थे। पूरे विश्व में उनके शिष्यों ने ज्ञान, ध्यान व योग को स्थापित किया। 

स्वामी जी के विश्वस्तरीय शिष्य..

1. स्वामी चिन्मयानंद- चिन्मय मिशन के संस्थापक।
2. स्वामी ज्योतिर्मायानंद- योग रिसर्च फाऊंडेशन अमेरिका के अध्यक्ष।
3. स्वामी सत्यानंद सरस्वती- योग इंटरनेशनल विद्यालय मूंगैली, राजनांदगांव के संस्थापक।
4. स्वामी संतानंद- ललित कलाओं का संस्थापक मलेशिया एवं सिंगापुर।
5. स्वामी शिवानंद - राधा यशोधरा आश्रम के संस्थापक (कनाडा)।
6. स्वामी वेंकेटेश्वरानंद- डिवाईन लाईफ सोसाइटी साऊथ आफ्रिका और मोरिसस, आस्ट्रेलिया।
7. स्वामी प्रणवानंद - मलेशिया आश्रम।
8. स्वामी चिदानंद तथा स्वामी कृष्णानंद - ऋषिकेश आश्रम।

सन् 1932 में उन्होने शिवानन्द आश्रम और 1936 में दिव्य जीवन संघ की स्थापना की। अध्यात्म, दर्शन और योग पर उन्होने लगभग 300 पुस्तकों की रचना की। 14 जुलाई 1963 को वे महासमाधि लीन हुये।
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