भारत में रेलगाड़ी के सबसे पीछे गार्ड वाले डिब्बे पर काले बैकग्राउंड पर पीले रंग से एक बड़ा सा क्रास (X) बना होता है। यह स्टेशन मास्टर के लिये एक संकेत होता है कि पूरी की पूरी रेलगाड़ी स्टेशन से निकल चुकी है, उसका कोई हिस्सा ब्लाक सैक्शन में नहीं रहा। तब वह पिछले स्टेशन को दूसरी गाड़ी छोड़ने के लिये अनुमति, जिसे लाइन क्लियर देना कहते हैं, देता है। दो रेलवे स्टेशनों के बीच की दूरी को ब्लाक सैक्शन कहते हैं।
चित्र में देखिये एक बड़ा पीले रंग का क्रास भी है और नीचे दाँयीं और एक गोलाकार तख्ती भी टंगी हुयी है जिसपर LV लिखा हुआ है । इस LV का अर्थ होता है Last vehicle ' , इस बोर्ड को टाँगना गार्ड की जिम्मेदारी होती है । यह उसकी लाइन पेटी में हमेशा होता है । ड्यूटी आफ होते समय वह अपना LV बोर्ड निकाल लेता है और ड्यूटी पर आने वाला दूसरा गार्ड अपना बोर्ड टाँग देता है । रात में बोर्ड की जगह लाल लाइट वाला टेल लैम्प टाँगा जाता है । क्रास के साथ यह LV बोर्ड दिन में और रैड लाइट वाला टेल लैम्प रात में जरूरी है।
इसकी जरूरत क्यों महसूस हुई? । माना कि स्टेशन A से एक गाड़ी चली और ब्लॉक सैक्शन में उसकी कपलिंग टूट गयी और आधी अधूरी गाड़ी स्टेशन B पर पहुंची और स्टेशन B ने यह समझ कर कि गाड़ी तो निकल गयी वह स्टेशन A को दूसरी गाड़ी छोड़ने के लिए लाइन क्लियर दे देगा और वह गाड़ी ब्लाक सैक्शन में पिछली गाड़ी के छूटे हुये डिब्बों से टकरा जायेगी और एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो जायेगा ।
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